Thursday, October 31, 2024

गजल एल्बम,33 टाईट

1
गजल
नफरतें नाम तेरा 

आज तेरे नाम से नफरत सी हो गई है
दिल की हर ख़्वाहिश बग़ावत सी हो गई है।

जो कभी खिलता था, तेरी याद में हर फूल
अब वही बहार भी सियाहत सी हो गई है।

तेरे लफ्ज़ों में जो मिठास थी कभी
अब वही बातें तल्ख़ हिकायत सी हो गई है।

जो तेरी हँसी से महकती थी ये फिज़ा
अब वो हवाएँ भी इबादत सी हो गई है।

तेरी राहों में बिछाते थे जो ख्वाब कभी
अब वही सपने अदावत सी हो गई है।

दिल तुझसे वाबस्ता था जैसे तारा-शब
अब वो रातें भी अब्र-ए-हसरत सी हो गई है।

वो जो तेरा नाम था, मेरी ज़िंदगी की रोशनी
अब उसी नाम से तीरगी-ए-लानत सी हो गई है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल

अभी,तेरे चलन से  बगावत सी हो गई है
धड़कन की सदा से नफरत सी हो गई है।

जो कभी तेरे लिए धड़कता था ये दिल
अब उसी दिल में शिकायत सी हो गई है।

तू जो था मेरे हर ख्वाब का उजाला
अब तेरी याद भी अंधेरों की हालत सी हो गई है।

जिसके लिए खुद को हमने ग़ुमा दिया
वो मोहब्बत अब जिल्लत सी हो गई है।

तू मेरे खयालों में बसता था हर घड़ी
अब वही सोच भी बेज़ार की इबादत सी हो गई है।

तेरी खुशबू से महकती थी मेरी साँसें कभी
अब वो साँसें भी नफ़रत की आदत सी हो गई है।

हर शाम तेरा नाम लेकर गुजारते थे जो
अब वो हर शाम कयामत सी हो गई है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
आज तेरे नाम से नफरत सी हो गई है
धड़कन की हर सदा बग़ावत सी हो गई है।

जो कभी तेरे लिए धड़कता था ये दिल
अब उसी दिल में शिकायत सी हो गई है।

तू जो था मेरे हर ख्वाब का उजाला
अब तेरी याद भी अंधेरों की हालत सी हो गई है।

जिसके लिए खुद को हमने ग़ुमा दिया
वो मोहब्बत अब जिल्लत सी हो गई है।

तू मेरे खयालों में बसता था हर घड़ी
अब वही सोच भी बेज़ार की इबादत सी हो गई है।

तेरी खुशबू से महकती थी मेरी साँसें कभी
अब वो साँसें भी नफ़रत की आदत सी हो गई है।

हर शाम तेरा नाम लेकर गुजारते थे जो
अब वो हर शाम कयामत सी हो गई है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
आज तेरे नाम से रिश्ता हो गया 

आज तेरे नाम से अजनबी सा रिश्ता हो गया
जिसे अपना समझा था, वो सपना हो गया।

जिसके लिए हर दर्द मुस्कुराहट में छुपा लिया
अब वही दर्द मेरी सूरत का हिस्सा हो गया।

तेरी मोहब्बत में गुज़ारी थी जो सारी रातें
अब वो हर लम्हा एक किस्सा हो गया।

जिसकी बाहों में सुकून ढूंढा था उम्रभर
अब उसी के बिना ये दिल तन्हा हो गया।

तेरे नाम से सजाई थी जो उम्मीदें कभी
अब वही हर ख्वाब धुंधला सा हो गया।

तू जो एक छांव था मेरे उजाले में कहीं
अब वही साया मुझे डरावना सा हो गया।

हर लफ्ज़ में थी जिसकी तारीफ की खुशबू
अब उसका जिक्र भी अफ़सोस-ए-ज़िन्दगी सा हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल 
कुछ बात तो है उनमें 

कुछ बात तो है उनमें जो दिल को भाती है
उनकी हँसी में जैसे बाग़ महक जाती है।

जबसे वो आए हैं, हर शाम रंगीन हो गई
उनकी खुशबू से ही सुबह सज जाती है।

उनकी आँखों में छुपा है सारा जादू जहाँ
बस एक नज़र में ही दुनिया बदल जाती है।

खामोशियाँ भी बोलें, जब वो पास हों यहाँ
हर एक सांस में जैसे धड़कन बढ़ जाती है।

हर लफ्ज़ में उनका नाम है, हर ख्वाब में वो
उनकी यादों की चादर मुझे सर्दी से बचाती है।

उनसे मिलकर दिल को जो सुकून मिला है
वो एक प्यारी सी दुआ की तरह महक जाती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गजल
वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है

वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है
दिल भी अब राहों से निकल जाता है।

हर शख़्स की किस्मत में आंसू लिखे हैं
हँसी का पैगाम भी अब छिन जाता है।

वो वादे थे, बस हवा में घुल गए हैं 
यादों का हर नक्शा मिटा जाता है।

इस जहाँ में क्या अपना, क्या पराया
हर रिश्ता एक दिन बिखर जाता है।

हवाओं से सीखो ये उलझना हर रोज़
मौसम के संग वो भी बदल जाता है।

जब दिल से दिल का राब्ता टूट जाए
फिर अपना भी अजनबी बन जाता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गजल
इंसानियत का चश्मा अब चल जाता है 

वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है
हर मोड़ पर नया मंज़र मिल जाता है।

रिश्तों की गर्मी अब ठंडी हवा में
जब भी चाहा, वो दिल से निकल जाता है।

ख्वाबों के रंग भी चुराए गए हैं
हंसते हुए लम्हा अब ग़म में बदल जाता है।

बीते दिनों की बातें, खौफ में लिपटी
जो मुस्कराता था, वो भी अब बिखर जाता है।

हर एक धड़कन में छुपा है एक राज़
वक्त की आंधी में, सब कुछ उड़ जाता है।

आँखों में सपने, दिल में अधूरे अरमान
इंसानियत का चश्मा अब छल जाता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गजल
वक्त एक आधी है सब गिर जाते हैं 

वक्त एक आंधी है, सब घिर जाते हैं
सपने चुराए जाते हैं, और बदल जाते हैं।

खुशियों के फूलों में कांटे छुपे होते हैं
जब बिछड़ते हैं हम, वो यादों में खिल जाते हैं।

कभी जो साथ थे, अब उनकी खामोशी है
दिल की गहराइयों में वो छिप जाते हैं।

रिश्तों की जंजीरें कब बंधी थीं प्यार से
आख़िर में वो भी वक्त के संग टूट जाते हैं।

हँसते चेहरे पर छुपी हैं कई कहानियाँ
जब दिल को समझाते हैं, आंसू झड़ जाते हैं।

हर लम्हा नया है, पर साया पुराना है
वक्त की चाल पर सब यूं ही चलते जाते हैं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

Tuesday, October 29, 2024

गजल एल्बम 32 टाईप

1
गजल
 जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे

वो जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
दिल की हर एक धड़कन में अब तो बस ग़म ही और थे।

जो मिले थे राहों में कभी, वो राहें भी बदल गईं
तन्हाई के साए में, अब तो बस ख्वाब ही और थे।

तेरे बग़ैर ये जि़ंदगी, जैसे एक वीरान है बाग
फूलों की खुशबू में भी, अब तो बस धुंध ही और थे।

किसी के दिल की धड़कन से, जुदाई की बातें हैं अब
वो जो ख़्वाबों में आए थे, अब तो बस साया ही और थे।

बीते लम्हों की यादों में, गहरी छाप सी रह गई
जो कभी साथी थे हमारे, अब तो बस ग़म ही और थे।

हर एक ख़ुशी की खातिर, हम बिछड़े जो आंसू बहा
ख़्वाबों की उस बस्ती में, अब तो बस ग़म ही और थे।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
वो चाहते तो बात बन सकती थी

वो चाहते तो बात बन सकती थी
हर खुशी मेरे साथ चल सकती थी।

उनके बिना तो बेमायने सी है जिंदगी
चाहते तो ये रात ढल सकती थी।

राहें मेरी यूँ वीरान न होतीं
साथ चलते तो रात ढल सकती थी।

उनकी खामोशी ने सब कुछ कह दिया
वरना हर दूरी पिघल सकती थी।

कसूर क्या था मेरा, कुछ तो बताते
वो चाहते तो बात बन सकती थी।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
बात बन सकती थी 

वो चाहते तो बात बन सकती थी
हर धड़कन को राहत मिल सकती थी।

मुझे टूटने से पहले थाम लेते
मेरी हर साँस में जान बस सकती थी।

फासले मिटाने का हौसला रखते
हर शिकवा बिन कहे ही ढल सकती थी।

वो जो इक क़दम बढ़ा देते आगे
तो ये दूरी भी वहीं रुक सकती थी।

मोहब्बत में कुछ कर दिखाने की चाह होती
उनके मेरे बीच एक राह बन सकती थी।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल

वो ऐसे छोड़कर गये, जैसे कभी प्यार था ही नहीं
दिल टूटा यूँ मेरा, जैसे कोई करार था ही नहीं।

ख्वाब जो देखे थे संग, सब बिखर से गये
जैसे उनकी नज़रों में मेरा इंतज़ार था ही नहीं।

वो मेरे हालात से बेख़बर ही रहे हमेशा
जैसे हमारी मोहब्बत का ऐतबार था ही नहीं।

राहों में उनकी तलाश करते रह गये हम
जैसे उनका लौटना अब दरकार था ही नहीं।

वो ऐसे दूर हो गये जैसे कभी थे ही नहीं
जैसे मेरे हिस्से में कोई बहार था ही नहीं।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल

वो पास होते तो ये शाम भी हसीन हो जाती
उनकी बाहों में हर सुबह रंगीन हो जाती।

खामोशियों में भी जब उनकी सदा आती
दिल की धड़कनें उनकी धड़कन से जुड़ जाती।

जो एक बार मुस्कुरा देते मेरे सवालों पर
हर शिकायत मेरे लबों से छिन जाती।

उनके पहलू में गुजरती यूँ हर एक रात
जैसे ज़िंदगी को नई सौगात मिल जाती।

काश उनका साथ यूँ ही उम्रभर मिलता
तो हर ख्वाहिश मेरी खुदा से जीत जाती।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गजल
बीरान सा लगता है 

उनके बिना ये दिल भी वीरान सा लगता है
हर गुलाब मुरझाया, बाग़ बंजर सा लगता है।

वो जो पास हों, तो रंगीन हो जाती है ये ज़िंदगी
वरना हर लम्हा मुझे बेजान सा लगता है।

एक नज़र जो देख लें वो मुड़कर हमें
तो हर दर्द भी जैसे आसान सा लगता है।

उनकी बातें यादों में यूँ घुल जाती हैं
जैसे चाँदनी में नशा निहान सा लगता है।

काश वो मेरे हर ख्वाब में आ जाएं
तो हर सुबह का रंग भी जवान सा लगता है।
गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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7
गजल
भक्त ठहर जाते

तुम्हारी बाहों में ये जहाँ सिमट सा जाता है
हर एक दर्द मेरे दिल से छंट सा जाता है।

तुमसे मिलकर हर बात ख़ूबसूरत हो जाती है
जैसे वीराना कोई बाग़ बन सा जाता है।

तेरी हंसी की मिठास दिल में बस जाती है
हर शिकवा-शिकायत कहीं गुम सा जाता है।

रात की तन्हाई भी महकने लगती है
जब ख्वाबों में तेरा चेहरा सज सा जाता है।

काश ये लम्हें कभी थम से जाएँ
तू पास हो और वक़्त ठहर सा जाता है।
गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गजल
तेरी आंखों में डूबी जाने का मन है 

तेरी आँखों में डूब के खो जाने का मन है
हर ख़्वाब को तेरे नाम कर जाने का मन है।

हवा में तेरी ख़ुशबू का असर बाकी है
इस रात को तेरी यादों से भर जाने का मन है।

तेरे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है
फिर से तेरी बाहों में सिमट जाने का मन है।

दिल कहता है तू मेरे करीब रहे यूँ ही
तेरी धड़कनों में खुद को बसा जाने का मन है।

तू सामने हो और बस तुझे देखता रहूँ
ज़िंदगी को यूँ ही रुख़ बदल जाने का मन है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 31 (मोनालिसा) टाईप


1
गजल
मोनालिसा 

वो मुस्कान में गहराई लिए बैठी है
हर राज़ की परछाई लिए बैठी है।

जैसे पत्थर में कोई जान बस गई हो
वो एक दिल की सच्चाई लिए बैठी है।

नज़रों का जादू, अदाओं का खेल
खुद में हर इक अच्छाई लिए बैठी है।

फनकार की मेहनत रंग लाई है यू
वो चेहरे पे वो रानाई लिए बैठी है।

मुस्कुराहट की चुप्पी में गूंजता सवाल
ज़माने की गवाही लिए बैठी है।

वो देखेगी कब तक यूँ सबको खामोश
नज़रों में रहनुमाई लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
मोनालिसा की खामोश मोहब्बत

ख़ामोशी में एक अदा लिए बैठी है
होंठों पे छुपी सदा लिए बैठी है।

निगाहों में जैसे कोई राज़ हो बसा
हर शख्स की दुआ लिए बैठी है।

उसके चेहरे की झलक में जादू सा है
जो दिलों की वफा लिए बैठी है।

वक़्त भी ठहर जाए उसकी तस्वीर में
वो सदियों की वफ़ा लिए बैठी है।

हसीं है मगर ग़म का एहसास लिए
वो अजब इक दर्द-ए-वफा लिए बैठी है।

मुस्कुराहट के पीछे की गहराई को देख
जैसे यादों की रिवायत लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
मोनालिसा का साया

वो तस्वीर में ज़िंदगी लिए बैठी है
ख़ामोशी में हर खुशी लिए बैठी है।

नज़र झुका कर मुस्कुराई यूँ वो
जैसे कोई बेख़ुदी लिए बैठी है।

हर रंग में इक मायूसी बसी है
दिल की अनकही बात लिए बैठी है।

सदियों से बस यूँही तकती रहेगी
वक़्त की बंदिशें लिए बैठी है।

हर चेहरा देखता है रहस्य उसका
वो चुप में सादगी लिए बैठी है।

ख़्वाबों का भी कोई चेहरा हो जैसे
अपने में एक जमीं लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
मोनालिसा की मुस्कान का रहस्य

वो खामोशियों में अदा लिए बैठी है
हर राज़ की इक सदा लिए बैठी है।

नज़रें झुकी हैं पर दिल में तूफां है
जैसे कोई दास्तां लिए बैठी है।

उसकी हंसी में दर्द की चिंगारी है
लबों पे बंद ग़ज़ल लिए बैठी है।

वो बेजुबां मगर बहुत कुछ कहती है
ख़ामोशी में शेर-ओ-ग़ज़ल लिए बैठी है।

वक़्त के साथ उसकी रौनक न बदली
हर दौर का हौसला लिए बैठी है।

देखने वाले ठहर से जाते हैं यूँ
जादू की ये नगरी लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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गजल
5
मोनालिसा की अदाएं

निगाहों में वो पहरा लिए बैठी है
लबों पे जैसे सेहरा लिए बैठी है।

हंसकर छुपाए ग़मों की तस्वीरें
दिल में अनगिनत चेहरा लिए बैठी है।

उसकी मुस्कान में छुपी हैं बातें
वो हर दिल का आईना लिए बैठी है।

हर सदी में बस यूँही छा जाएगी
वक़्त को अपना पर्चा लिए बैठी है।

बेमिसाल है उसकी खामोशी का जादू
बिन कहे हर लफ़्ज़ कहा लिए बैठी है।

इक तस्वीर में खुदा की रहमत सी
वो खुद में एक जहाँ लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गजल

मोनालिसा की ख़ामोश झलक

चेहरे पे नक़ाब-ए-हया लिए बैठी है
आँखों में वो आईना लिए बैठी है।

उसकी मुस्कान में बसी है तन्हाई
ख़ामोशियों में हवा लिए बैठी है।

हर ज़रा में उसके हैं अफसाने छुपे
वो दुनिया का नक्शा लिए बैठी है।

लब खामोश पर निगाहों में गहराई
जैसे समंदर की अदा लिए बैठी है।

वो तस्वीर में रूह को कैद कर गई
हुस्न का वो साया लिए बैठी है।

जाने कितनी सदियों का है उसका असर
वक़्त का वो चेहरा लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गजल
मोनालिसा की मूक मुस्कान

लबों पर मूक गुफ्तगू लिए बैठी है
निगाहों में एक जादू लिए बैठी है।

हंस कर छुपाए वो दर्द की कहानियां
चेहरे पर ग़म का रुख़्सार लिए बैठी है।

रंगों में वो बसी हुई सी लगे
जैसे किसी का इंतजार लिए बैठी है।

वो चुप है मगर उसकी हर अदा बोले
हर ज़ख्म का असर लिए बैठी है।

वक़्त की कैद में भी वो आज़ाद लगे
सदियों का इक करार लिए बैठी है।

तस्वीर की खामोशी में है आवाज़ छुपी
जैसे दिल का इज़हार लिए बैठी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गजल

मोनालिसा का खामोश रहस्य

उसके चेहरे पे हया झलकती है
हर अदा में इक दुआ झलकती है।

निगाहों में छुपा है दर्द गहरा
मुस्कुराहट में सदा झलकती है।

वो खामोशी से सब कह जाती है
बिन कहे हर बात झलकती है।

उसकी तस्वीर में छुपे हैं राज़ कई
हर रंग से एक अदा झलकती है।

सदियों से ठहरी है उसकी कशिश
जैसे वक्त की रवा झलकती है।

उसे देख के सब खो से जाते हैं
उसमें रूह की फिज़ा झलकती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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गजल एल्बम 30 (कहने वाले कहते रहेंगे)

1
गजल
कहने वाले कहते रहेंगे

कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे
छोटी-छोटी बातों में, अपना नाम करते रहेंगे।

चाहे राहें हों मुश्किल, या हो हर मोड़ पर कांटे
हम अपने इरादों को, बस मजबूत करते रहेंगे।

जो देखेंगे हमें पीछे, हम उन्हें भूल जाएंगे
खुद पर भरोसा रखकर, आगे बढ़ते जाएंगे।

हर ज़ख्म को छुपा लेंगे, अपनी मुस्कान में ढालेंगे
सपनों की दुनिया में, नए रंग भरते रहेंगे।

बातें हों या फिर उलझनें, सबको हम दरकिनार करेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
कहने वाले कहते रहेंगे

कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे
खुद पर विश्वास की लकीरें, हर दिन बनाते रहेंगे।

जो चुराएंगे हमारी ख़ुशियाँ, हम उन्हें जलाते रहेंगे 
हर मुश्किल में हिम्मत से, नए सपने सजाते रहेंगे।

जो कहेंगे झूठी बातें, उनकी बातें नहीं सुनेंगे
सच्चाई की राह पर हम, आगे कदम बढ़ते रहेंगे।

हर मुसीबत में हों जब साथी, हम न कभी हार मानेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे।

हर कदम पर एक नई सोच, हर विचार में एक नया रंग
हम अपने काम में रहेंगे, बस उम्मीद अपनी बढ़ाते रहेंगे।

असफलता का डर नहीं हमें, हर कोशिश में जान डालेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
__________________________
3
गजल

जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें

जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें
खुद पर यकीन को संजोकर, अपने सपने पूरे करते रहें।

हर कठिनाई को पार करेंगे, हम मुश्किल से न डरेंगे
उम्मीदों की रौशनी में हम, आगे ही बढ़ते रहेंगे।

कभी तोटेंगे नहीं हिम्मत, कभी हार नहीं मानेंगे
हर नए दिन की सुबह में, नए इरादे सजाते रहेंगे।

जो आयेंगी राह में रुकावट, हम उन्हें पार करते जाएंगे
जो भी हो हालात अपने, हम खुद को न झुकने देंगे।

सपनों की दुनिया बुनेंगे, अपने हौसले को बढ़ाएंगे
जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
यह दुनिया है 

यह दुनिया है सही करोगे तो भी कहेगी
गलत करोगे तो भी कहेगी, कुछ और कहेगी।

हर एक चेहरे पर छिपी हैं राज़ की बातें
खुद को बचाकर हर कोई, मुझसे ये कहेगी।

कभी दिल की धड़कनें, कभी खामोशियों की
इस अनकहे जज़्बात की गूंज भी कहेगी।

लफ्ज़ों के खेल में छुपी है बेवफाई 
पर दिल की हर एक धड़कन, सच में कहेगी।

फिर भी मुस्कुराते रहना है हमें आगे
क्योंकि ज़िंदगी की राहें, कुछ भी कहेगी।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल 
सच्चाई का सफर हर कोई भुला जाएगा

सच्चाई का सफर हर कोई भुला जाएगा
पर झूंठ की राह पर वो खुद को सजा जाएगा।

हर पल की धड़कन में, छिपी एक कहानी
दिल के जख्मों से वो अपना ग़म छुपा जाएगा।

तुमने जो किया, उसका हिसाब न होगा
खामोशियों की गूंज से वो सब कुछ बता जाएगा।

जिंदगी के सफर में, ना कोई सखा मिलेगा
हर मोड़ पर बस धुआं, एक रहस्य छुपा जाएगा।

इस दुनिया की फितरत है बस एक भ्रम समझना
सच यही है कि हर दिल, एक दिन ये सिखा जाएगा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------------
6
गजल
बीता जमाना अब याद आ रहा है

बीता जमाना अब याद आ रहा है
हर एक लम्हा, अब बतला रहा है।

खुशियों की रंगीनियाँ, वो चाँदनी रातें
वो मुस्कानें, वो बातें, सब याद आ रहा है।

भूलने की कोशिश में, खोया था खुद को
पर दिल की गहराइयों में, वो याद आ रहा है।

ग़मों की सर्द हवाएँ, चलती हैं अब भी
तेरे बिना ये मौसम, अब याद आ रहा है।

छोटी-छोटी खुशियों की वो मीठी कहानियाँ
बीते कल का जादू, अब याद आ रहा है।

उजले सपनों के साए, अधूरे रह गए
वो खोया हुआ वक्त, अब याद आ रहा है।

आँखों में आँसू, दिल में एक तड़प
सच कहूँ, तो तेरा, यूं जाना याद आ रहा है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
7
गजल
वो चाहने वाले और थे

वो जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
दिल के हर एक राज़ में अब तो बस ग़म ही और थे।

जो कहने आए थे कभी, अब वो भी नहीं आते
तेरे दीदार की चाह में, अब तो बस ख्वाब ही और थे।

रात की चांदनी में भी, तन्हा दिल का है साया
सपनों के अंधेरों में, अब तो बस ग़म ही और थे।

किसी की यादों का साया, दिल में हर रोज़ बसा है
उनकी हंसी की रेशमी छांव में, अब तो बस ख़ामोश और थे।

कौन कहता है मोहब्बत, इक जन्नत है इन आँखों में
दिल के वीराने में जो हैं, अब तो बस ख़ंजर ही और थे।

इश्क़ की राहों में बिछे, दर्द के ये खंजर सारे
ज़ख्मों की बातें करके, अब तो बस जख्म ही और थे।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
8
गजल 

 जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे

वो जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
दिल की हर एक धड़कन में अब तो बस ग़म ही और थे।

जो मिले थे राहों में कभी, वो राहें भी बदल गईं
तन्हाई के साए में, अब तो बस ख्वाब ही और थे।

तेरे बग़ैर ये जि़ंदगी, जैसे एक वीरान है बाग
फूलों की खुशबू में भी, अब तो बस धुंध ही और थे।

किसी के दिल की धड़कन से, जुदाई की बातें हैं अब
वो जो ख़्वाबों में आए थे, वो साया ही और थे।

बीते लम्हों की यादों में, गहरी छाप सी रह गई
जो कभी साथी थे हमारे, बस वो ग़म ही और थे।

हर एक ख़ुशी की खातिर, हम बिछड़े जो आंसू बहाए
ख़्वाबों की उस बस्ती में, अब तो बस ग़म ही और थे।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 29 टाईप

ग़ज़ल
दिल की कहानी फिर बयाॅं करने लगे हैं 

कहानी दिल की हम फिर बयाँ करने लगे हैं
तेरी यादों के साए में हम फिर सँवरने लगे हैं।

खफा थे तुम मगर हमको खुशी का है वहम
तेरे हर दर्द को अपने से बसर करने लगे हैं।

वफ़ा की राह पर चलते रहे हैं हम मगर
तेरी बेवफ़ाई से दिल ये डरने लगे हैं।

हवाओं में तेरी खुशबू है अब भी हर तरफ
तेरे आने की उम्मीदों में सहर करने लगे हैं।

हमारे दर्द को भी देख ले इक बार तू
तेरे ख्यालों में अब हम गुजरने लगे हैं।

 गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
2
ग़ज़ल
तेरी आवाज़ ढूॅंढते रहे

ख़ामोशी में तेरी आवाज़ ढूँढ़ते रहे
हम ख़्वाबों में तेरा साज़ ढूँढ़ते रहे।

तेरी राहों से जो गुज़रे थे कभी हम
हर गली में वो अंदाज़ ढूँढ़ते रहे।

वफ़ा के फूल तो बिछाए थे हमनें
मगर तेरा दिल का राज़ ढूँढ़ते रहे।

हर इक बात पे हम मुस्कुराते रहे
पर दिल में छुपे अल्फ़ाज़ ढूँढ़ते रहे।

तू दूर होके भी नजदीक सा लगा
तेरी आँखों में कुछ राज़ ढूँढ़ते रहे।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
तेरी असर 

तेरी चाहत का असर आज भी बाकी है
दिल की गहराई में दर्द की सिफ़ारिश बाकी है।

वो जो कह गए थे ख़ामोशियों में कभी
उन लफ्ज़ों की चुभन आज भी बाकी है।

तेरे बिना जी तो लेंगे मगर ऐ दोस्त
इन आँखों में तेरी ख़्वाहिश आज भी बाकी है।

रूह से जुड़ा है कुछ इस तरह से तेरा साथ
हर सांस में तेरी आहट आज भी बाकी है।

वक़्त के हाथों से मिटा देंगे तेरे निशां
पर दिल में तेरा एहसास आज भी बाकी है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
बसर कर गये 

इक तेरी याद में उम्र बसर कर गए
हर दर्द को हँस के सफर कर गए।

तन्हाइयों में तेरी खुशबू बसी है
हर लम्हा तुझे याद कर कर गए।

वफ़ा की राह में चले तो सही हम
मगर तेरी खातिर जहर भर गए।

दिल में तेरी मोहब्बत का जुनून था
तेरे लिए खुद को बिखर कर गए।

अब लौट आओ की बस ये दिल कह रहा
हम तेरे इंतजार में ठहर कर गए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल
तेरी राहों में 

तेरी राहों में नज़रें बिछाए बैठे हैं
तेरे लौट आने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

हर ख़्वाब में तेरा चेहरा सजाए बैठे हैं,श
अपने दर्द को हँसी में छुपाए बैठे हैं।

तेरी बेवफ़ाई का ग़म भी है मगर
फिर भी दिल को तसल्ली दिलाए बैठे हैं।

वो शामें, वो बातें भुलाए नहीं जाते
तेरी यादों का चिराग जलाए बैठे हैं।

अब लौट भी आओ कि थक गए हम
तुम्हारी बाहों का ख़्वाब सजाए बैठे हैं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गजल
दिल की बातें जुबां तक कभी आई नहीं
तेरी यादों के बिना रात कट पाई नहीं।

ख़ामोशियों में भी तू ही बसा है कहीं
तेरी चाहत की कोई हद दिखाई नहीं।

तू चला गया पर ख़्वाब अभी तक हैं तेरे
इस दिल से तेरी राह मिटाई नहीं।

तेरे बिना जी तो लेंगे हम यकीनन
पर ये दुनिया हमें रास आई नहीं।

वक़्त के साथ ज़ख्म भर तो जाएंगे
मगर तेरी कमी दिल से जुदा हो पाई नहीं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गजल
ख्वाब बनके निगाहों में आता रहा

तू ख्वाब बनके निगाहों में आता रहा
हर दर्द को दिल से लगाता रहा।

तेरे बिना इस दिल को चैन ना मिला
तेरी राहों में सारा जहां भुलाता रहा।

इक तेरी याद ने ऐसा असर कर दिया
हर खुशी को हँस कर बहलाता रहा।

कभी चाहा तुझे भुला दूं दिल से
मगर हर बार तेरा नाम दोहराता रहा।

जिंदगी की राह में अकेला हूँ मैं
तेरी यादों का दिया जलाता रहा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गजल
चाहत का असर बाकी है 

तेरी चाहत का अब भी असर बाकी है
दिल में कहीं वो खंजर बाकी है।

माना कि तूने हमें भुला दिया होगा
पर मेरे दिल में तेरा सफर बाकी है।

हर राह पर तेरी खुशबू है बसी
हर लम्हे में तेरा असर बाकी है।

वो वादे जो किए थे तुमने कभी
उन वादों का अब भी असर बाकी है।

तू दूर हो गया है इस जहान से
मगर आँखों में तेरा नगर बाकी है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

Monday, October 28, 2024

गजल एल्बम 28

1
ग़ज़ल
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है

ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
बाज़ार में अब हर सपना बिकता है।

जिनकी बातों में था सच्चाई का दम,
उनका भी अब हर किस्सा बिकता है।

मूल्य रिश्तों का जहाँ खो गया हो
हर अपना यहाँ बेगाना बिकता है।

इंसानियत का नाम न लो यहाँ
सड़कों पर यहाँ हर चेहरा बिकता है।

जबसे दौलत का खेल चला है
ईमान यहाँ पर सस्ता बिकता है।

जो कभी अनमोल थे दिलों में
आजकल हर वो रिश्ता बिकता है।

रख लो संभाल के अपनी आत्मा
क्योंकि यहाँ हर आईना बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
हर कदम पर इमोशन का झूठ बिकता है।

सपने जो कभी थे दिल के करीब
अब उनका भी हसीन मंजर बिकता है।

चाहत के रंगों की जैसे कमी हो
हर दिल में अब बस अधूरा बिकता है।

इंसान की कीमत यहाँ बेमिसाल
पर धन का तो यहाँ हर बिंब बिकता है।

रिश्तों की महक को मिटा दिया है
हर एक पल में अब हर लम्हा बिकता है।

मोहब्बत की सच्चाई का क्या हाल
सच्चा प्रेम यहाँ पर सस्ता बिकता है।

चलो कुछ देर तो हम हंस लें यहाँ
इस बाजार में अब हर ख्वाब बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
ग़ज़ल
यहां हर रंग विकलता है 

ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
इंसानियत का हर लम्हा बिकता है।

ख़्वाबों की बस्ती में जबसे आया
हर खुशी का यहाँ मोल बिकता है।

वक्त की कीमत को क्या समझे लोग
हर पत्ता अब बस जोश में बिकता है।

इश्क़ के नाम पर जो बातें होतीं
उनका भी अब सिसकियों में बिकता है।

नफरत के साये में खोई है मोहब्बत
हर दिल का यहाँ बस डर बिकता है।

धन-दौलत के आगे झुकी है इंसानियत
अब हर भावना भी बस चकना बिकता है।

सपनों की सौगात लेके आए जो
उनका भी यहाँ हर रंग बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल

ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
सपनों की रंगत भी अब बिकता है।

सच्चाई की खोज में निकले थे हम
पर झूठ का हर चेहरा बिकता है।

मोहब्बत की राह में जो खड़ा था
अब वो भी यहाँ पर ठेका बिकता है।

इंसानियत का क्या हाल हो गया
हर गली में अब ये फेरा बिकता है।

वक्त की दस्तक को समझ न सके
बाज़ार में अब हर तेरा बिकता है।

किसी की आंखों में एक आंसू था
वो दर्द भी यहाँ पर बेचा बिकता है।

खुशियों का क्या मोल है यहाँ
हर एक लम्हा अब शौक से बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल

यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।

खुशियों के नाम पर जो मिलता है
दुःख का एक नन्हा सा हिस्सा बिकता है।

मोहब्बत के रंग भी कुछ यूँ हैं
हर एहसास अब जज़्बात में बिकता है।

सपने जो सच होते नहीं कभी
उनका भी अब किस्सा बिकता है।

इंसानियत की कीमत गिर गई
हर रिश्ता अब यहाँ पर बिकता है।

मोहब्बत की राह पर जब चले
हर मोड़ पर ये तज़ुर्बा बिकता है।

खुश रहना भी अब मुश्किल हो गया
हर चेहरे पर ये फेरा बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------*******----
6
ग़ज़ल
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है

यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।

सपनों की कीमत अब तौली जाती
हर दिल का यहाँ दर्द छिपता है।

खुशियों की लहरें जब लौटतीं
हर आंसू के संग वो मिलता है।

रिश्तों की परवाह अब किसे है
हर चेहरा यहाँ बस मुखौटा बिकता है।

इंसानियत की ढलान पर जब से
हर बात में अब एक झूठ बिकता है।

जज़्बात के हर रंग का सौदा
हर गली में अब ये सस्ता बिकता है।

दिल के अरमानों की जब बात होती
हर हसरत यहाँ पे सरेआम बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------------
7
ग़ज़ल
यहां धोखा भी विकलता है 

यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।

खुशियों की चादर भी लुटती गई
हर चेहरे का अब दर्द छिपता है।

इश्क़ की बुनियादें अब ढह गईं
हर वादा यहाँ पर बस झूठा बिकता है।

सपने जो सजाए थे कभी हमने
अब वो भी यहाँ पर टुकड़ों में बिकता है।

दिल की बात कहने का हो रहा वक्त
हर जज़्बात अब फ़साने में बिकता है।

दौलत की चाह में खो गई इंसानियत
हर रिश्ता यहाँ पर केवल नाम बिकता है।

प्यार के नाम पर जो खेल हो रहा
हर मोड़ पर अब ये धोखा बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------
8
गजल
यहां धोखा भी विकलता है 

यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ हर जज़्बात में धोखा बिकता है।

सच्चाई का बोलना अब खता है
हर हक़ यहाँ अब खामोशी में बिकता है।

रिश्तों की भीड़ में खो गए लोग
हर अपना यहाँ पर बेगाना बिकता है।

चमक-दमक में है सबकुछ शामिल
पर हर चेहरा यहाँ आईना बिकता है।

अरमानों का सौदा करने चले
हर चाहत अब पल में रुसवा बिकता है।

इंसानियत का मोल घट गया है
हर इंसान यहाँ पर पैमाना बिकता है।

जिसे हम समझे थे अनमोल कल तक
आज उसका भी हर किस्सा बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 


गजल एल्बम, (बिकता है)27

1
ग़ज़ल
 "बिकता है"

यहां सब कुछ मुस्कानों में बिकता है
दर्द भी अब अफ़सानों में बिकता है।

वो कल तक जो मेरे अपने थे
आज हर रिश्ता पैसों में बिकता है।

इंसानियत का ज़िक्र कहां अब
यहां हर चेहरा सामानों में बिकता है।

जो दिल से सच्चा हुआ करता था
अब वो भी अरमानों में बिकता है।

तूफ़ानों से लड़ने की बातें क्या करें
जब साहिल भी बहानों में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------**********--------*
2
ग़ज़ल
 "बिकता है"

यहां हर सच हर झूठ बिकता है
इंसान क्या, हर सूत बिकता है।

जिसे पूजते थे कभी इबादत में
अब वो खुदा भी मूर्त बिकता है।

वो लफ्ज़ जो मरहम बने थे कभी
अब हर घाव का सबूत बिकता है।

खरीदारों की भीड़ में खड़ा देखो
हर सपना, हर सुकूत बिकता है।

वो रिश्ते जो अमर हुआ करते थे
अब पैसों की मर्ज़ी से टूट बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----******--------------
3
ग़ज़ल
हर शय इज्जत में बिकता है 

यहां हर शय इज़्ज़त में बिकता है
जो कल था सच्चा, ज़र्रत में बिकता है।

वफ़ा की राहें सूनी हुईं जब से
अब हर चेहरा चाहत में बिकता है।

गुज़री यादें, टूटी उम्मीदें सब
बस यूंही कुछ हालत में बिकता है।

जो सच की खातिर जलता था पहले
आज वो शमा भी बरकत में बिकता है।

कभी ख्वाबों की मीनारें जो ऊंची थीं
अब हर सपना आहट में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------******--------
4
गजल
चेहरा बिकता है 

यहां हर चेहरा नकाब में बिकता है
दिलों का सौदा ख़्वाब में बिकता है।

वो रिश्ते जो थे जान से प्यारे कभी
आज हर जज़्बा हिसाब में बिकता है।

कभी सच था जिनका वो नाम आज
वो किस्से भी आदाब में बिकता है।

महफ़िल में सजी थी जो रोशनी
अब हर चिराग़ आंधियों में बिकता है।

उजालों की अब क्या बात करें
यहां हर साया भी ख़्वाब में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------*****
5
गजल
यहां हर ख्वाब चंद सांसों में बिकता है

यहां हर ख्वाब चंद सांसों में बिकता है
इंसान क्या, उसका वजूद बिकता है।

जो सच की बुनियाद था कभी
आज वो हर साज़िश में बिकता है।

वो लम्हे जो थे अनमोल कभी
अब हर याद, किस्तों में बिकता है।

रहमत भी यहां गिरवी रखी है
हर आशीर्वाद अब दामों में बिकता है।

जो अपने थे कभी जां से भी करीब
अब वो भी अनजान नजरों में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
6
गजल

यहां हर चाहत बाजारों में बिकता है

यहां हर चाहत बाजारों में बिकता है
जो दिल से सच्चा हो, वो ख्वाबों में बिकता है।

वफ़ा की कोई कीमत नहीं बची अब
हर वादा आज सौदों में बिकता है।

जिसे कभी पूजा था दिल की तरह
अब वो भी सजधज कर बिकता है।

अहल-ए-दर्द की महफिलें सूनी हैं
अब हर आंसू मुस्कानों में बिकता है।

दिलों की कीमत अब कोई नहीं समझता
यहां हर जज़्बा अफसानों में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------****---------
7
गजल
यहां हर दर्द मुस्कानों में बिकता है

यहां हर दर्द मुस्कानों में बिकता है
मोहब्बत का जाम भी पैमानों में बिकता है।

वो हंसी जो कभी दिल से आती थी
आज हर खुशियों के बहानों में बिकता है।

जिसे सीने से लगा रखा था बरसों तक
अब वो रिश्ता भी अरमानों में बिकता है।

खामोशी से गिरते हैं जो आंसू यहां
हर अश्क अब जज़्बातों में बिकता है।

वो दिल जो कभी पत्थर ना हुआ
अब हर धड़कन से दामों में बिकता है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
8
गजल
यहां हर साया उजालों में बिकता है

यहां हर साया उजालों में बिकता है
सच भी कहीं सवालों में बिकता है।

वो जो एक वक्त दिल के करीब था
आज वही चेहरा खयालों में बिकता है।

खामोश लबों पर सजी जो थी कभी
अब हर हंसी मलालों में बिकता है।

कभी जो सिरजता था दुनिया को अपनी
वो खुद भी अब हलालों में बिकता है।

महफिलों की रौनकें मिट सी गई हैं
अब हर शख्स हालातों में बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 


गजल एल्बम 26

1
बेसबब तलाश

बेसबब तलाश में भटकता रहा
हर मोड़ पर ख्वाब मैं सजा करता रहा।

दिल के आईने में चेहरा धुंधला पड़ा
अपनी ही परछाईं से लड़ा करता रहा।

राहें थीं वीरान, कोई अपना न था
मैं अपनी तन्हाई को सहा करता रहा।

चाहतें बिखरीं, पर अरमान जले
हर लम्हे में दर्द को सहता रहा।

जिसे पुकारा था कभी अपना कह के,
वही पराया सा हर घड़ी लगता रहा।

अधूरी आसें, बुझी हुई बातें
खामोशियों का बोझ मैं ढोता रहा।

अब न कोई मंजिल, न कोई हमसफर
मैं अपनी ही तलाश में खोता रहा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------------
2
बिछड़े हुए ख्वाब

बिछड़े हुए ख्वाब हैं, आवाज़ें खामोश हैं
दिल के वीराने में उलझी रातें मदहोश हैं।

वो जो अपना था, अब पराया हो चला
यादों की जंजीरों में उलझे जज्बात बेहोश हैं।

दर्द के हर रंग में, ढलती है मेरी सदा
दिल की गहराइयों में बसी ये घुटन से बेशोर हैं।

जिस राह पे चला था, वो राह छूट गई
आंखों में बसी मंजिलें आज बेनूर हैं।

कभी सोचा था, कोई साथ निभाएगा
अब तन्हाई के इस सफर में कदम खामोश हैं।

हर ख्वाब जो देखा, वो टूटा बिखर गया
मेरी हसरतें अब दर्द के आगोश में बेखबर हैं।

अब न उम्मीद बाकी, न चाहतों का जहां
इन वीरानों में मेरी यादें और मैं खामोश हैं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
अधूरी तमन्ना

अधूरी तमन्ना है, तन्हा सफर मे
भटका हुआ दिल है इन रहगुजर में।

वो जो कभी अपना था, दूर हो गया
अब किससे कहें हम अपने असर में।

हर एक लम्हा दर्द का पैमाना हुआ
डूबे हैं खयालात गहरे समंदर में।

ख्वाबों की राहें अब वीरान सी हैं
बस धुंध सी छाई है दिल के नगर में।

चाहा था जिसे, वो कभी मिल न सका
अब किससे उम्मीदें रखें इस सफर में।

अधूरी सी हसरत, अधूरे से अरमान
छूटे हैं ख्वाबों के टुकड़े बिखर में।

अब न कोई आवाज़, न कोई सदा
खोए हुए हम हैं खुद के ही डर में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------
4
खामोश सफर

खामोश सफर में, तन्हाई का आलम है
हर मोड़ पर छुपा, एक दर्द का पैगाम है।

जिनसे थी उम्मीदें, वो ही दूर चले गए
अब सिर्फ यादों का, मेरे साथ सामान है।

दिल की गहराइयों में, अब बसी है खामोशी
हर ख्वाब मेरा, जैसे लुटा सा एक आम है।

कभी जो मेरे थे, अब सब बेगाने हैं
इन वीरानों में बस, एक खोया हुआ नाम है।

हर जख्म का एहसास, हर आंसू की कहानी
इंसानियत की तस्वीर, अब बेमिसाल धुंधलाम है।

क्या कोई सुनेगा, मेरी ये तन्हाई
सुनते-सुनते सभी, कब के हो चुके आम हैं।

अब ढूंढता हूं मैं, खुद को इस सन्नाटे में
हर एक सांस मेरी, जैसे गूंजती एक श्याम है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
खोया हुआ जहां

खोया हुआ जहां है, तन्हाई का बसेरा
हर साया मुझसे दूर, हर ख्वाब है बेगाना।

दिल के दरमियान, चुप्पी का एक समंदर
आंसुओं की गहराई में, छिपा है हर अफसाना।

कभी जो था अपना, अब वो पराया सा है
यादों की इस भीड़ में, मिटता जा रहा निशाना।

हर मोड़ पर रुककर, गम का बोझ उठाया
अपने ही अल्फाज़ों में, खोया सा एक खजाना।

हसरतें अधूरी हैं, चाहतें भी बेनाम हैं
किससे कहूं अपनी, दिल की ये दास्तान पुराना।

दुनिया की रंगीनियों में, मैंने खो दी पहचान
अब तन्हाई के इस सफर में, दिल का है पैगाम।

न कोई संग साथी, न कोई मुस्कान रहे
बस सन्नाटा है गूंजता, जैसे मेरा ही परछाई हो बेनाम।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
आसां नहीं है ये

आसां नहीं है ये सफर तन्हाई का
हर कदम पे छुपा है एक नया साया।

दिल की खामोशी में छिपा है एक ग़म
खो गई हैं खुशियां, बाकी बस है नज़ारा।

जिसे चाहा था मैंने, वो भी छूट गया
अब यादों का भार है, अपने ही गुनहगारों का।

हर मोड़ पर मिलते हैं, बस खोए हुए ख्वाब
जिनमें खोकर जीता था, अब वो हैं बेगाने।

दिल के कोने में सिसकियाँ कैद हैं
जज्बातों की गहराई में, छिपे हैं आंसू हमारे।

चाहते थे जो कभी, वो अब पराए हैं
इस तन्हाई में खुद को फिर से सजाना है।

कभी जो था साथ, अब वो भी नहीं है
बस यादों की परछाईं में, सिमट गया है सारा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ख़ामोश दिल की आवाज़

ख़ामोश दिल की आवाज़ है, सुनाई नहीं देती
खोए हुए ख्वाबों की, यादें तन्हाई में भरी हैं।

राहों में बिखरे हैं सपने, जो कभी सजे थे
अब उन पर धूल चढ़ी है, जो यादें कर दी हैं।

जिनसे मिला था सुकून, वो भी दूर हो गए
किससे कहूं अपनी दास्तान, कोई पास नहीं है।

हर लम्हा तड़पता है, खुद से ही जुदा होकर
खुशियों का जो रंग था, वो अब काला हो गया है।

तन्हाई में जब यादें, दस्तक देती हैं दरवाज़े
दिल की गहराइयों में, फिर से बिखर जाती हैं।

एक ख्वाब था कभी, अब सिर्फ रह गया है
यादों के इस समंदर में, मैं डूबता चला गया हूं।

अब न कोई साथी, न कोई मुस्कान बाकी
बस खोई हुई राहें हैं, जिनका कोई निशान नहीं है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
खामोशियाँ हैं साथी

खामोशियाँ हैं साथी, तन्हाई का आलम है
खुद से जो बिछड़ गया, वो मेरा ही ग़म है।

खोए हुए ख्वाबों की, कोई आवाज़ नहीं है
हर लम्हा ये तड़पता, दिल का अरमान है।

किससे कहूं अपनी कहानी, कोई पास नहीं है
दूरी ने बना दिए हैं, सभी रिश्ते पराए हैं।

हर मोड़ पर है खड़ा, बस एक साया अपना
जो मेरे साथ है, वो खुद में ही खोया है।

एक उम्मीद का दीप था, वो भी बुझ गया
अब सिर्फ यादों की परछाईं, मेरे साथ है।

हर लफ्ज़ में बसी हैं, मेरी तन्हाई की बातें
इस दिल के वीराने में, चुप्पी की कबाहटे हैं

अब तो बस ये ख्वाब हैं, अधूरे से बिखरे हुए
किसी ने ना पूछा, क्यों हो गए हम अकेले। हैं

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 25

गजल
ढूंढ रहा हूं ख़ुशियां उन वीरानों में,

ढूंढ रहा हूं ख़ुशियां उन वीरानों में
खोया हुआ हूँ मैं अपने अरमानों में।

मिटे न जिनकी छाया उस यादों से
जला रहा हूं दिल को इन वीरानों में।

हर एक सवेरा धुंधला सा आता है
तन्हाई का साथ है इन गहराइयों में।

दिल की कश्ती टूटी हर एक लहर पर
लहरों में उलझा हूँ अपने तूफानों में।

कहाँ है वो अपना, कौन है हमदम?
अकेला हूँ बस इन सन्नाटों में।

कभी जो था मेरा, अब वो पराया है
छुपा हुआ दर्द है मेरे तरानों में।

हर राह अंजानी, हर सफर बेजान
मिलूँ कहाँ खुद से, इन वीरानों में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
2
खोया हुआ मैं

खोया हुआ मैं, अपने अफसानों में
ढूंढ रहा हूं, सुकूं वीरानों में।

उजड़ी उम्मीदें, बुझा सा है दिल,श
ढलता है दर्द, मेरे तरानों में।

हर मोड़ पर, खामोशी का पहरा
गुमसुम है दिल, दर्द के ठिकानों में।

छोड़ गए जो साथ निभाने वाले
कैसे रहूं मैं, इन वीरानों में।

बनके पराया, दूर हुआ हर अपना
अब बेगाने हैं सब बहानों में।

जिनसे थी उम्मीद, वही बेवफा निकले
उलझन सी है दिल के अरमानों में।

सपनों का जहां, राख सा बिखरा पड़ा
बस धुआं ही धुआं मेरे अरमानों में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
3
खोया हुआ मैं

खोया हुआ मैं, अपने अफसानों में
ढूंढ रहा हूं, सुकूं वीरानों में।

उजड़ी उम्मीदें, बुझा सा है दिल
ढलता है दर्द, मेरे तरानों में।

हर मोड़ पर, खामोशी का पहरा
गुमसुम है दिल, दर्द के ठिकानों में।

छोड़ गए जो साथ निभाने वाले
कैसे रहूं मैं, इन वीरानों में।

बनके पराया, दूर हुआ हर अपना
अब बेगाने हैं सब बहानों में।

जिनसे थी उम्मीद, वही बेवफा निकले
उलझन सी है दिल के अरमानों में।

सपनों का जहां, राख सा बिखरा पड़ा
बस धुआं ही धुआं मेरे अरमानों में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
खोया हुआ सफर

खोया हुआ सफर है, राहों में कांटे बिछे
जिंदगी बिखरती गई, इन तन्हाइयों में।

दिल की ख्वाहिशें सब, अब राख बन गईं
गूंजते हैं अफसाने, वीरानियों में।

जो भी मिला यहां, पराया सा लगा
कोई अपना न मिला इन बेगानों में।

हर एक रिश्ता टूटा, हर वादा अधूरा
टूटे दिल की सदा है अरमानों में।

जिससे थी आस, वही छोड़ गए हमें
बस रह गई ये तन्हाई जज्बातों में।

बुझ गए चराग, हर रात बेअसर
तलाशता हूं सुबह इन अंधेरों में।

दुनिया के इस मेले में हूं तनहा खड़ा
खो गया हूं कहीं इन वीरानों में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
अजनबी सफर

अजनबी ये सफर है, जहां तन्हा खड़ा हूं
हर किसी से दूर, खुद में ही पड़ा हूं।

खामोशियों में दबी हैं सदाएं मेरी
अपने ही साए से जैसे लड़ा हूं।

किसी का साथ चाहा, पर साथ न मिला
हर दर पे बेवफाई का धुंआ उठा हूं।

टूटे हुए ख्वाबों का मंजर है सामने
बिखरी हुई यादों में हरपल सजा हूं।

रिश्तों का रंग अब बेरंग सा हुआ
अपने ही अरमानों से मैं जुदा हूं।

इस जिंदगी की जंग में हार कर
ढूंढ रहा हूं खुद को मैं खुदा हूं।

कहां है वो सुकूं, जो दिल को मिले
इन वीरानों में मैं बेसबब चला हूं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------++++++-----------
6
गुमशुदा मैं

गुमशुदा मैं अपनी ही राहों में
ढूंढता सुकून दर्द की पनाहों में।

हर किसी से खफा, हर किसी से जुदा
कैसे बसूं इन बेमुरव्वत निगाहों में।

दिल के जख्म गहरे, दर्द बेहिसाब
छुपा हूं मैं अपने ही गुनाहों में।

हर ख्वाब टूटा, हर अरमान झूठा
बस ठोकरें मिली हैं चाहतों की राहों में।

जो कभी था अपना, वो दूर हो गया
खो गया हूं मैं इन उलझी बाहों में।

अब न कोई साथी, न कोई आस बाकी
बस रह गया हूं खामोश आहों में।

दुनिया से शिकायत क्या करूं अब मैं
जले हैं मेरे जज्बात सुलगती आहों में।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
7
तन्हा सफर

तन्हा सफर में छुपे हैं सवाल कई
खोए हुए ख्वाबों का हाल कई।

दिल की तड़प कहूं या दर्द की जुस्तजू
मिले न सुकूं के कहीं खयाल कई।

जिनसे उम्मीदें थीं, वो भी रूठ गए
राह में छोड़ गए अपना जाल कई।

हर शख्स यहाँ, बेवफा सा लगा
हर लम्हे में दिखे बस मलाल कई।

कभी था उजाला, अब अंधेरा घना
दिल में छुपे हैं गहरे हलाल कई।

जिन राहों पे चला, वो बिखरी पड़ीं
हर मोड़ पर टूटे अरमान कई।

अब न किसी का इंतजार बाकी है
खो गया हूं अपनी ही चाल कई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
बेसबब तलाश

बेसबब तलाश में भटकता रहा
हर मोड़ पर ख्वाब मैं सजा करता रहा।

दिल के आईने में चेहरा धुंधला पड़ा
अपनी ही परछाईं से लड़ा करता रहा।

राहें थीं वीरान, कोई अपना न था
मैं अपनी तन्हाई को सहा करता रहा।

चाहतें बिखरीं, पर अरमान जले
हर लम्हे में दर्द को सहता रहा।

जिसे पुकारा था कभी अपना कह के
वही पराया सा हर घड़ी लगता रहा।

अधूरी आसें, बुझी हुई बातें
खामोशियों का बोझ मैं ढोता रहा।

अब न कोई मंजिल, न कोई हमसफर
मैं अपनी ही तलाश में खोता रहा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 24

1
ग़ज़ल
दिल के हर कोने में उदासी क्यों छा रही है

दिल के हर कोने में उदासी क्यों छा रही है
जो चाहा था वो खुशी क्यों दूर जा रही है।

हँसी के पल थे जो संग बहारों के कभी
अब हर वो याद बेवजह सी लग रही है।

जिनसे दिल लगाया था, वो ही बेगाने हुए
अपनों से अजनबी सी फ़िज़ा बन रही है।

हर ख़्वाब का सफर अब थकावट में है
राहों पर खामोशी का साया सा चल रहा है।

थी उम्मीद की एक लौ दिल में रोशन
पर हर चाहत बुझी-बुझी सी लग रही है।

‘हम’ ने जो सोचा था साथ रहेगा सदा
वो भी अब एक ख़ामोश ख्वाब बन रही है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
वो अजनबी हो गये

वो अजनबी हो गये, जाने क्यों ख़फ़ा हो गये,
कल तक थे मेरे हमनवा, आज क्या से क्या हो गये।

दिल से लगी थी जो कसम, साथ निभाने की सदा,
वो वादे सब टूट गए, जैसे हवा हो गये।

अपना समझा जिनको था, एक उम्र के लिए,
उनके बदलते ही सभी, ख़्वाब फ़ना हो गये।

राहों में बसते थे कभी, चाँदनी के संग में,
वो चाँदनी के कहर से, ख़ाक में रमा हो गये।

पूछूँ मैं कैसे उनसे, दर्द की ये इंतिहा,
साथ थे जो हर कदम, क्यों अब जुदा हो गये।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
3
वो अजनबी हो गये, जाने क्यों ख़फ़ा हो गये,
कल तक थे मेरे हमनवा, आज क्या से क्या हो गये।

दिल से लगी थी जो कसम, साथ निभाने की सदा,
वो वादे सब टूट कर, जैसे हवा हो गये।

अपना समझा था जिनको ,एक उम्र के लिए,
उनके बदलते ही सभी, ख़्वाब फ़ना हो गये।

राहों में बसते थे कभी, चाँदनी के संग में,
वो चाँदनी के कहर से, ख़ाक में समा हो गये।

पूछूँ मैं कैसे उनसे, दर्द की ये इंतिहा,
साथ थे जो हर कदम, वही अब जुदा हो गये।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------------
4
गजल
हालात ऐसे कि बेवफा हो गये

हालात ऐसे क्यों हो गए कि वह चाहते हुए भी बेवफा हो गए
वो इश्क की राह में अजनबी बनके, अब जुदा हो गए।

रिश्तों के बंधन में जो कभी थे मजबूत
अब वक्त की मार से टूटकर कमजोर हो गए।

दिल की सुनने की फुर्सत न थी उन्हें
शायद वो लफ्ज़ भी, अब बेगाना हो गए।

खुदा की मर्जी में था कुछ ऐसा खेल
कि सपनों की हर कसक, सच्चाई में खो हो गए।

यादें अब भी बसी हैं उनकी रूह में
लेकिन अब तो वो भी, खुद से भी बेगाना हो गए।

उम्मीदों की हर किरन से उम्मीद थी
पर एहसास कर के, बस ख्वाबों में खो हो गए।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल
मंजर बुरा हो गया 

इश्क की राहों में जो मंजर बुरा हो गया
हालात ऐसे क्यों हो गए, कि वह बेवफा हो गया।

ख्वाब सजाने की चाहत में, दिल बिछा दिया
पर वक्त की लहरों में, हर जज़्बात जुदा हो गया।

जिन्हें हम चाहने लगे, वो भी हमसे छूट गए
यादों की चादर में, अब वो भी तन्हा हो गया।

किसी की यादों में खोया, मैं खुद से दूर गया
चाह कर भी कभी, अपना न सही, वो बेगाना हो गया।

अब सोचता हूं हर पल, क्यों ये फासला हो गया
बेवजह ही जो प्यार था, वो अब बेवजह हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
6
गज़ल
किसी की चाहत में खुद को खोते रहे

किसी की चाहत में खुद को खोते रहे
हालात ऐसे क्यों हो गए, कि वो बेवफा हो गए।

सपनों की दुनिया में जब वो साथ थे
खुशियों का हर पल, अब ग़म में बदल गए।

वक्त की परछाइयों ने बदल दी तस्वीर
वो जो थे अपने, अब वो भी अजनबी हो गए।

कभी सोचते थे हम, ये रिश्ता है पक्का
अब दिल के रिश्ते भी, बस झूठे सपने हो गए।

आँखों में चुराने थे जो ख्वाब सुहाने
वो एक पल में ही, सब दर्द की वजह हो गए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गज़ल

किसी की चाहत में हम खुद को भुला गए
हालात ऐसे क्यों हो गए, कि वो बेवफा हो गए।

रिश्तों की मीठी बातें, अब ख़ामोशी में ढल गईं
पलकों पर जो सपने थे, वो क्यों रुसवा हो गए।

जब चाहा साथ उन्हें, वो मुड़कर न देखे
बेवजह ही मुस्कान में, ग़मों का सिला हो गए।

हर एक मोड़ पर यादें, बस और दर्द दे गईं
वो जो थे हमसफर, अब तो बस ख्वाब हो गए।

इश्क की राहों में हर लम्हा एक साजिश थी
खुशियों के हर रंग, अब अधूरे हो गए 

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गज़ल
वो जुदा हो गई

वो ख्वाबों में आई, फिर जुदा हो गई
हर बात में अब बेवफा हो गई।

सपने सजे थे,  हकीकत की राह में 
खिलते हुए फूलों की खुशबू खो गई।

दिल के वीराने में छाया सन्नाटा
तन्हाई में लिपटी, मेरी ख़ता हो गई।

यादों की परछाई में रात है गहरी
उसे देखकर दिल की धड़कन रुक गई।

तन्हाई की चादर में लिपटे हैं हम
वो खुद से ही अब बेख़ुदा हो गई।

उम्मीदें बिखर गईं, फिर भी जी रहे
किसी की यादों में वो जुदा हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 23 टाईप

1
ग़ज़ल
ऐ वक्त तू बता 

ऐ वक़्त तू ही बता ये क्या हो रहा है
हर लम्हा दर्द से मेरा वास्ता हो रहा है।

खुशियों का कोई मौसम था वो गुज़र गया
अब हर पल ग़मों का नया सिलसिला हो रहा है।

हसरतें रेत सी यूँ फिसलती रहीं हाथ से
सपनों का एक-एक कर सामना हो रहा है।

जिनसे थी उम्मीदें, वही राह में छोड़ गए
अपने ही अपनों से यूँ बेवफ़ा हो रहा है।

बचपन की मासूमियत अब ढूँढें कहाँ
वक़्त के साथ सब कुछ जुदा हो रहा है।

एहसासों का क्या हाल कहें तुझसे 'हम'
दिल का हर ज़ख़्म बस ताज़ा हो रहा है।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
2
ग़ज़ल
ऐ क्या हो रहा है 

ऐ वक़्त तू ही बता ये क्या हो रहा है
हर साया अब अजनबी सा क्यों हो रहा है।

चाहत की राहों में थी जो रोशनी कभी
अब हर तरफ़ एक अंधेरा सा हो रहा है।

जिन्हें माना था हमने अपना हर ख़्वाब
वो बेवजह हमसे खफ़ा क्यों हो रहा है।

अरमानों का गुलशन खिला था जो कभी
अब दर्द का मंज़र वहाँ क्यों हो रहा है।

थी जिनसे राहतें, वो दूरियाँ बढ़ा गए
हर रिश्ता अब बेअसर सा क्यों हो रहा है।

एहसासों की सरहदें टूटती हैं 'हम' पर
हर ख़ुशी से दिल तन्हा क्यों हो रहा है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
3
ग़ज़ल
ये साजिशें क्यों हैं

ऐ वक़्त तू ही बता ये साज़िशें क्यों हैं
हर अपने की बातों में खामोशियाँ क्यों हैं।

तूफानों की धड़कन में आग सी क्यूँ है
चुप रहने वालों की आँखें भी नम क्यों हैं।

कल तक जो हमसफ़र थे, अब अजनबी से हैं,
रिश्तों की बुनियाद में दरारें क्यों हैं।

खुशियों के सब लम्हे धुंधला से गए हैं
आँखों में अब दर्द की परछाइयाँ क्यों हैं।

वो राहें जिनमें उम्मीदें बोई थीं कभी,
आज उनमें खारे समंदर की लहरें क्यों हैं।

खामोश लफ़्ज़ों में 'हम' रोते हैं हर रोज़
अपने ही ख्वाबों में वीरानियाँ क्यों हैं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
4
ग़ज़ल

यूँ बेबसी का आलम क्यों छा रहा है
हर ख़्वाब टूट कर बिखरता जा रहा है।

कल तक जो लफ़्ज़ों में मिठास थी
आज हर एक लफ़्ज़ खारा सा हो रहा है।

जिन राहों पे चलने का इरादा था कभी
अब उन राहों पे अंधेरा सा क्यों छा रहा है।

दिल में बसी थीं जो प्यारी यादें कभी
वो भी अब धीरे-धीरे धुंधला रहा है।

हर उम्मीद की लौ क्यों बुझता जा रहा है
जिंदगी की राहें वीरान होता जा रहा है।

‘हम’ ने सोचा था मिलेगी राहत यहाँ
पर हर तरफ़ बस तन्हाई घेरता जा रहा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5

ग़ज़ल
मिजाज बदला जा रहा है 

हर मोड़ पर क्यों ये सवाल आ रहा है
जिंदगी का मिज़ाज बदलता जा रहा है।

खुशियों के थे जहाँ गुल खिले कभी
अब वही गुलशन वीरान हो रहा है।

वो बातें जो सुकून देती थीं दिल को
अब हर जुमला अजनबी लग रहा है।

कभी चहकते थे जो रिश्तों की बाग़ में
उन लम्हों पर अब सन्नाटा छा रहा है।

दिल से जुड़ी हर उम्मीद बिखर सी गई
हर चाहत का सफर अधूरा जा रहा है।

ये दौर भी अजीब है, 'हम' समझ न पाए
हर हँसी के पीछे दर्द छिपा जा रहा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
6
ग़ज़ल
हर शाम ढलकर सवाल बनती जा रही है

हर शाम ढलकर सवाल बनती जा रही है
जिंदगी की राह मुश्किल होती जा रही है।

दिल में था कभी जो सुकून का बसेरा
अब उसी दिल में बेचैनी पनपती जा रही है।

वो बातें जो कभी रंगीन थीं ख्वाबों में
अब हर याद धुंधली सी लगती जा रही है।

हर रास्ते पे ख़ुशियों के निशां ढूँढ़ते हैं
पर वो खुशियाँ भी दूर होती जा रही हैं।

कल तक थे जो अपने, वो आज अजनबी हैं
हर रिश्ता मुझसे कटा-कटा सा जा रहा है।

‘हम’ ने चाहा था साथ चलेगी जिंदगी
पर हर कदम पे अकेलापन बढ़ता जा रहा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल
हर सुबह दुबली नजर आ रही है 

हर सुबह क्यों अब धुंधली नज़र आ रही है
रौशनी में भी जैसे रात उतर आ रही है।

जो हँसी थी कभी लबों पर सजी हुई
अब वही खामोशी में सिमटती जा रही है।

कल तक थी उम्मीद की रोशनी साथ मेरे
आज हर चाहत बेजान सी लग रही है।

वो जो अपने थे, अब ख़ामोश खड़े हैं
हर चेहरे पर अजनबीपन उभर आ रही है।

दिल के अरमान भी खामोश हो चले
जिंदगी का सफर थकन में बदलती जा रही है।

‘हम’ तो चाहते थे एक हसीन सफर
पर हर मोड़ पे मायूसी बढ़ती जा रही है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8

ग़ज़ल

फिर से कोई ख़्वाब बिखरता जा रहा है
हर लम्हा मेरी हदों से गुजरता जा रहा है।

चाहा था दर्द से राहत मिलेगी कभी
पर हर जख़्म गहरा उभरता जा रहा है।

वो जो अपने थे, अब दूर क्यों खड़े हैं
हर रिश्ता बेमानी सा लगता जा रहा है।

कल तक जो उम्मीदों का घर बना था
अब वो घर वीरान सा लगता जा रहा है।

सोचा था सुकून मिलेगा सफर के दरमियाँ
पर ये सफर भी अब बोझिल होता जा रहा है।

‘हम’ ने थामा था जिन लम्हों को अपन
वो भी अब धुंधला के रुख़सत होता जा रहा है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 



Sunday, October 27, 2024

गजल एल्बम 22 टाईप

गज़ल

तन भी सुंदर, मन भी सुंदर, फिर भी अभिलाषा बेवफा हो गई
जबसे उसके चेहरे की छाया, दिल की दुनिया वीरान हो गई।

प्यार की राहों में जबसे आए, धड़कनों की धुन भी खो गई
ख्वाबों में छुपी थी उसकी सूरत, अब तो बस यादें रह गई।

आँखों में बसी थी हसीन बातें, वो पल थी जैसे एक जश्न हो
फिर भी चाहत में खामोशी आई, अब तो हर बात अधूरी हो गई।

दिल के मंजर में वो भी था एक, जो खुद को खुदा सा मानता था
मोहब्बत की इस जंग में जबसे, वो दर्द की कहानी बन गया।

रूप भी सुंदर, मन भी सुंदर, फिर भी अभिलाषा बेवफा हो गई
जबसे उसके चेहरे की छाया, दिल की दुनिया वीरान हो गई।

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गज़ल

आज अभिलाषा मन में आयी

आज अभिलाषा मन में आयी
और यादों की चादर बिछाई।

दिल में तेरा ही जज़्बा है बसा
हर घड़ी तेरा ही ख्वाब सजाई।

खुशबू से तेरी महका ये जहा
हर लम्हा तेरा ही नाम गुनगुनाई।

सपनों में फिर से तेरा ही बसेरा
तेरी बाहों का वो साया भायी।

आज अभिलाषा मन में आयी
और यादों की चादर बिछाई।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
वो धोखा देकर चले गए 

वो धोखा देकर चले गए
हम तन्हा यूं ही रह गए।

दिल में उम्मीदें थी उनकी
वो सब अरमान कह गए।

राहों में फूल बिछाए थे
पर कांटे सारे सह गए।

जुड़ा था उनसे मेरा सफ़र
वो मोड़ पे क्यूँ बहक गए।

जिनसे थी रौशनी दिल की
वो दीये भी बुझा गए।

अब तो बस यादें हैं बाकी
वो अपना असर छोड़ गए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल

तुम्हारी बातें हवा में ठहरती नहीं
कमाल ये है कि फिर भी असर दिखता नहीं।

मैं जलते हुए चिरागों का किस्सा क्या कहूँ
मैं टूटते ख्वाबों का सिर्फ़ तमाशबीन नहीं।

तेरी वफ़ा का चेहरा भी झूठा लगता है
तू इक खामोश चीख है, ये कोई नई बात नहीं।

तुम्हारे लफ़्ज़ भी जैसे किसी कांटे से चुभें
अदीब हो, मगर ज़रा-सी हसीन नहीं।

तुझे खबर है कि तेरा ये रवैया क्या करे
तू इंसान का मोल जाने, मशीन नहीं।

बहुत मशहूर है आएंगे लोग यहाँ
ये दिल देखने के काबिल तो है, हसीन नहीं।

जरा संभल के चलो राहों में, ये ढलान है
तुम्हारे हाथ में कांटे हों, मगर न कोई ज़मीन नहीं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल
आसरा मिलता नहीं 

तुम्हारे झूठ का अब मुझपे असर होता नहीं
कमाल ये है कि कोई सबक नज़र आता नहीं।

मैं वीरानों में जलते हुए दिए सा हूँ
मैं वो शख्स हूँ जिसे कोई साथ देता नहीं।

तेरी हसरतें भी एक छलावा सी लगें
तू इक खामोश इमारत है, कोई घर नहीं।

तूने वादों को तोड़ा यूँ बार-बार कि
अब दिल में तेरी कोई जगह बचती नहीं।

तुम्हारी आँखों में कुछ सवाल हैं लेकिन
वो सवाल है कि जिनका जवाब मिलता नहीं।

बड़ी मशहूर है तेरी बातें हर जगह
मगर इस दिल की आग को कोई बुझाता नहीं।

चलते रहो तुम अपनी राहों पे बेखबर
यहाँ हर मोड़ पे कोई आसरा मिलता नहीं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
6
ग़ज़ल
कोई इंतजार नहीं 

तुम्हारी राहों में अब कोई इंतज़ार नहीं
कमाल ये है कि दिल को कोई करार नहीं।

मैं तेरी ख़्वाहिशों का बुत बन कर रह गया
मैं वो आईना हूँ जिसमें अब कोई निखार नहीं।

तेरी बातें भी अब बुझी-बुझी सी लगती हैं
तू वो दीया है जिसमें रौशनी का असर नहीं।

तूने हर लम्हा यूँ गुज़ार दिया बेरुखी से
अब दिल में तेरे लिए कोई प्यार नहीं।

मेरा सफ़र तो तुझसे ही शुरू हुआ था कभी
अब तेरी राहों में जाने का इख्तियार नहीं।

जग में मशहूर है तेरी बातें मगर
तू मेरे ज़ख्मों का अब कोई गवाह नहीं।

यूँ ही चलते-चलते बिछड़ गए हम
अब तेरे ख्यालों में कोई गुज़िश्ता यार नहीं।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल
बेवजह वह मुझसे खफा हो चला 

वो बेवजह हमसे खफा सा रहने लगा
कमाल ये है कि कुछ भी कहे बिना चला।

मैं दर्द का रिश्ता निभा रहा हूँ यूँ
जैसे ख़ामोशी में कोई साज़ बजा चला।

तेरी नजरें भी अब कुछ छुपाने लगी हैं
तू राज़ कोई अनकहा सा छोड़ चला।

दिल में तेरी यादें बसी हैं आज भी
पर तू हर लम्हा बदल के जा चला।

तूने जो वादे किए थे कभी प्यार में
वो सब हवाओं में उड़ा के जा चला।

जाने क्यों तेरा अक्स अब धुंधला लगे
तू मेरे ख्वाबों से भी दूर जा चला।

अब तो बस रह गई है तन्हा ये राह
तू एक परछाईं बन के मुझसे जुदा चला।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
8
ग़ज़ल
वो नजरे चुरा कर चला गया

वो हमसे नजरें चुरा के चलता गया
कमाल ये है कि कोई भी रिश्ता निभा न सका।

दिल के जज़्बातों को वो समझ न सका
मैं आग बन के जलता रहा, वो बुझा न सका।

तेरी खुशबू से आज भी महकता हूँ मैं
मगर तू अपने निशां तक छोड़ न सका।

उसके हर वादे में एक छलावा था
मैं सच मानता रहा, वो निभा न सका।

मेरी हर राह में उसके नक्श थे मगर
वो एक मोड़ पे आकर साथ आ न सका।

उसके चेहरे की हंसी भी झूठी थी
मैं आइना बन गया, वो खुद को देख न सका।

अब मैं तन्हा हूँ इन ख्यालों की भीड़ में
वो भीड़ में होकर भी मेरा हो न सका।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 21 टाईप

1
गजल
खुशियों की बरसात की 

आँखों ने आँखों से जब बात की
दिल की गहराई में एक रात की।

तेरे इश्क़ की खुशबू से महका
ज़िंदगी में छाई है रुत्बात की।

हर लफ्ज़ में तेरा ही जिक्र है
तेरे बिना क्या है मेरी बात की।

तू मेरी धड़कन, तू मेरा साया
ख्वाबों में तेरा ही साथ की।

चाहत में तेरा नाम लिखा है
इश्क़ की राहों में सौ सौ सौगात की।

छुपा रखा है मैंने तुझको दिल में
खुद से छिपा के रखी सौगात की।

जब से तुझसे मिला हूँ मैं
जिंदगी में खुशियों की बारात की।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
2
गजल
आँखों ने आँखों से जब बात की

आँखों ने आँखों से जब बात की
दिल में छिपी थी एक सौगात की।

तेरी मोहब्बत का जादू है ऐसा
हर एक लम्हा हो जैसे बरसात की।

चुपके से तूने किया जब इशारा
जिंदगी में आए एक नई रात की।

तेरी मुस्कान में छुपा है सारा
खुशबू बसी हो जैसे गुलाबात की।

हर ख्वाब में तेरा ही चेहरा है
आँखों ने देखा तेरा हसीन नज़ारात की।

बातें तेरा एहसास दिलाती हैं
तेरे बिना अधूरी है हर रात बात की।

तेरे संग बीते हर एक लम्हा
जिंदगी है जैसे महकती सौगात की।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------------
3
नजर से मुलाकात हुई

नज़र से नज़र की जो मुलाकात हुई
दिल में छिपी थी एक नई सौगात हुई।

तेरे इश्क़ का जादू है अद्भुत सा
हर धड़कन में तेरा ही जिक्र, हर बात हुई।

जब तूने मुस्कुराकर किया इशारा
जिंदगी में जैसे बहारों की रात हुई।

तेरे होंठों की लाली में रंग है सारा
हर लम्हा तेरा दीदार, बस यही चाहत हुई।

ख्वाबों में बस है तेरा नज़ारा
तेरे बिना हर चीज़ अधूरी, जैसे कोई ईजात हुई।

तेरी ख़ुशबू से महका ये जहाँ
तेरे संग बिताए हर लम्हा, ख़ुदा की नेमत हुई।

तेरे प्यार में खोया हूँ मैं
जिंदगी में जैसे मोहब्बत की बरात हुई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
दिल से दिल की जो की बातें

दिल से दिल की जो की बातें
जिंदगी में खुली नई सौगातें।

तेरे इश्क़ का जादू है अद्भुत
खुशियों में लिपटी हैं सारी रातें।

जब तूने किया मुझसे इशारा
दिल की गहराई में तैर गईं बातें।

तेरी मुस्कान में बसी है रौनक
जैसे बहारों में खिलतीं हैं फुलवारतें।

तेरे साथ बिताए हर एक लम्हा
खुशबू में ढल गई हैं सारी बातें।

तू जो पास हो, तो हर दर्द मिटता
तेरे बिना अधूरी हैं ये ख़्वाबातें।

तेरे प्यार में खोया हूँ मैं
तेरी यादों में बसीं हैं जज़्बातें।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
5
गजल
आँखों से आँखों की जो बातें हुईं

आँखों से आँखों की जो बातें हुईं
दिल की गहराई में नई सौगातें हुईं।

तेरे इश्क़ का जादू है नज़ाकत
हर धड़कन में तेरा नाम पर बातें हुईं।

जब तूने इशारे से दिल को छुआ
खुशियों की लहर में बहे ये रातें हुईं।

तेरी मुस्कान में बसी है बहार
जैसे बाग़ों में खिलतीं हैं सौगातें हुईं।

तेरे संग बिताए हर लम्हा खास
तेरे बिना अधूरी हैं मेरी चाहतें हुईं।

तेरे प्यार का जादू है बेपनाह
हर लफ्ज़ में बसीं हैं ये ख़्वाबातें हुईं।

तेरे बिना सारा जहां है वीरान
तू जो साथ हो, तो महकतीं हैं बातें हुईं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------------
6
गज़ल
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया

मैं देखता रहा और जमाना लूट गया
किसी के हाथ से जादू, कोई छूट गया।

खुदा के नाम पर जो जंग शुरू हुई
आसमानों से मेरा चाँद भी टूट गया।

धड़कनों की आवाज़ में गूँजती है तन्हाई
तेरे बिना ये दिल मेरा क्यों रूठ गया।

खामोशियों की रात में यूं ही सोचते हैं
हर एक दर्द का सफर कैसे अनूदित गया।

सपनों में तेरे चेहरे की रोशनी बसी है
पर अब ये दिल तो जैसे कहीं भूल गया।

ग़मों की लहरों में जब तूफान आया
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गज़ल

सपने तन्हाई के संग फिर से सजा हो गया
हर एक मोड़ पर दिल मेरा फिर से झुका हो गया।

तेरे इश्क़ की राहों में जबसे आया हूँ मैं
खुशबू से महकता वो नज़ारा हो गया।

हर एक याद में तेरे मुस्कान की छवि है
खामोशियों से तेरा नाम क्यों जुदा हो गया?

रंजिशों के बादल में छुपा है मेरा साया
तेरे बिना ये दिल मेरा क्यों बिछड़ा हो गया?

वो लम्हे जो साथ थे, अब क्यों हैं दूर यहाँ?
दिल की दास्तान में तू ही तू छिपा रह गया।

जज़्बातों की बंजर ज़मीन पर अब क्या कहूँ
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गज़ल
मैं देखता रहा और सागर लूट गया।

उसने कहा था सारा ज़माना साथ है मेरे
पर आज ख़ुदा से ही ये दिल क्यों ख़फ़ा हो गया।

बिछड़कर हमसे वो अपनी राह चला गया
सपनों की दुनियाँ से हक़ीक़त का जुदा हो गया।

जिनकी बातों में मिठास थी, वो अब तितलियाँ
उन्हीं की याद में ये मन, क्यों फिर से रोया हो गया।

चाँदनी रातों में महके जब फूलों की खुशबू
दिल के इस बाग़ में सारा ग़म क्यों ग़ायब हो गया।

किताबों की खामोशियों में जो खोया था कभी
वो राज़ आज मेरे वजूद से कैसे छुपा हो गया?

कश्ती तन्हा थी, लहरों से यूं मिलकर चली
मैं देखता रहा और सागर लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 20 टाईप

ग़ज़ल

यह कैसी अभिलाषा 

यह कैसी अभिलाष है, दिल में छुपी प्यास है
हर साँस में उलझी हुई इक अजनबी आस है।

मंज़िल की तलब भी है, राहों की खलिश भी है
दिल का ये आलम तो देखो, कैसी ये तलाश है।

जज़्बात भी खामोश हैं, ख़्वाबों की ये कश्मकश
हर धड़कन में बसी हुई तन्हा कोई मिठास है।

जीवन के हर मोड़ पर, चाहत का था इक सफर
तू पास नहीं फिर भी, दिल में तेरी मिठास है।

हसरत की चुभन भी है, यादों का सुकूँ भी है
यह कैसी रीतों में बंधी उलझी सी आस है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल
अभिलाषा 

यह कैसी अभिलाष है, क्या दर्द की विरास है
हर ख्वाब टूटा कांच सा, बिखरी हुई प्यास है।

तन्हाईयों के साए में, हर लम्हा ठहर गया
दिल को छूती चुप्पियों में, गहरी सी अविलास है।

आँखों में कुछ ख्वाब थे, लहरों में वो बह गए
मंज़िल से दूर फिर भी क्यों, दिल में वो विश्वास है।

राहों में कांटे बिछे, राहें मगर चल पड़ीं
यह कैसी रहमत है जो, हर ग़म में उल्लास है।

अब सांस भी बोझिल लगे, दिल का न कोई किनारा
हर चाह अधूरी लगे, ये कैसी अभिलाष है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
ग़ज़ल
यह कैसी तलब है, जो दिल को तड़पा रही
हर ख्वाब के टूटने की, दस्तां सुनवा रही।

राहों में धुंध छाई, मंज़िल खो गई कहीं
फिर भी ये उम्मीद क्यों, दिल में झलक रही।

सन्नाटों की चुप्पी में, आवाज़ सी है दबी
हर सांस जैसे कोई, नई कसम खा रही।

जज़्बात बिखरे पड़े, चाहत की नमी के संग
दिल में कोई कसक, यादों को फिर जगा रही।

आँखों में जो ख्वाब थे, सब राख हो गए मगर
फिर भी ये प्यास क्यों, दिल को लुभा रही।झलक-ऐ-अभिलाषा 

यह कैसी तलब है, जो दिल को तड़पा रही
हर ख्वाब के टूटने की, दस्तां सुनवा रही।

राहों में धुंध छाई, मंज़िल खो गई कहीं
फिर भी ये उम्मीद क्यों, दिल में झलक रही।

सन्नाटों की चुप्पी में, आवाज़ सी है दबी
हर सांस जैसे कोई, नई कसम खा रही।

जज़्बात बिखरे पड़े, चाहत की नमी के संग
दिल में कोई कसक, यादों को फिर जगा रही।

आँखों में जो ख्वाब थे, सब राख हो गए मगर
फिर भी ये प्यास क्यों, दिल को लुभा रही।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल
 ये कैसी अभिलाषा 

कैसी ये बेचैनी है, जो दिल को खल रही
हर ख्वाब के पीछे कोई हसरत मचल रही।

मंज़िल तो सामने है, पर पाँव थम गए
उम्मीद की राह फिर, साँसों में जल रही।

खामोशियों में छुपी, है एक पुकार सी
सुनते हुए भी दिल में, खामोश पल रही।

राहत के लम्हे भी, क्यों बोझिल लगे हमें
हर चाह में कोई दर्द की गूंज चल रही।

तस्वीर में रंग थे, अब धुंधले से हो गए
फिर भी ये चाहतें, दिल से निकल रही।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल
 ऐ कैसी आरजू 

कैसी ये आरज़ू है, जो मन में पल रही।
हर ख्वाब में छिपी हुई, एक अधूरी कल रही।

बिछड़ने की कसक में, दीवानगी है छुपी रही
हर साँस में तन्हाई, हर लम्हा गहराई रही।

मिलन की चाह में, क्या क्या हमने सहा
यादों के साए में, अब तक वो जल रही।

ख्वाबों का सागर है, जो आँखों में बसा
फिर भी यह दिल तन्हा, क्यों खामोश रही।

ज़िंदगी की राहों में, खामोशी का आलम
हर खुशी के पीछे, एक दर्द छुपी रही।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल
 अभिलाषा दिल को सता रही 

कैसी ये चाहत है, जो दिल को है सता रही
हर पल की तन्हाई में, यादें जो बसा रही।

मंज़िल की तलाश में, कदम रुकते हैं कहीं
हर मोड़ पर नसीब की, कुछ रंग बिखरा रही।

खुशियों की चादर में, छुपा है कोई ग़म
हर हँसी में एक दर्द की, कहानी कह रही।

उम्मीद की किरणें भी, फिसलती जा रही हैं
फिर भी ये ज़िंदगी, जज़्बातों को बसा रही।

जज़्बात की गहराई में, कोई राज़ है छुपा
हर ख्वाब के पीछे, एक सच्चाई दबा रही।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल
अभिलाषे अरमानी

ये ख्वाहिश कैसी, जो दिल को है सताती है 
हर चाहत में छुपी हुई, एक गहरी सजा बताती है।

धड़कनों की ताल में, क्यों दर्द का सुर लगा 
हर कदम पर बिछड़ी हुई, यादों का साया बताती है।

खुशियों के बादलों में, चुपके से जो बरसा पानी 
वो आँसू की बूंदें, दिल के वीराने में धुआं बताती है।

उम्मीद के दीप जलते, फिर भी क्यों राहें सूनी हैं
कितनी भी कोशिश करूँ, मन फिर बिरानी बताती है।

सपनों के हसीन रंग, अब धुंधले हो गए हैं
फिर भी ये चाहतें, दिल में बसी हुई अरमानी बताती हैं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल 
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8
ग़ज़ल
हर मुस्कुराहटों में एक सच्चाई छुपी है 

किस तरह की ये हसरत, जो मन को है ललचाती
हर ख्वाब में छिपी हुई, एक नई बेचैनी है।

सन्नाटों की गहराई में, आवाज़ें हैं बसी हुई
हर पल की तन्हाई में, एक अजनबी कहानी है।

मुस्कुराहटों की आड़ में, छुपा हुआ ये दर्द है
दिल के वीराने में, छुपी हुई एक निशानी है।

जज़्बातों के सागर में, तरंगें हैं उठती हुई
फिर भी यह दिल क्यों, उम्मीद की नाव चला रही।

खुशियों की महफिल में, क्यों ग़म का साया छाया
हर हँसी के पीछे, छिपी हुई एक सच्चाई है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 19 टाईप

गज़ल
ऐ मीत मेरे तू बेकरार न हो
 
ऐ मीत मेरे तू बेकार ना हो
तेरे बिना ये सफ़र बेकार ना हो।
ख्वाबों में तेरा दीदार हो हर पल
हर दर्द का अब असर बेकार ना हो।

तेरी हंसी से महके हैं ये बाग़
तेरे बिना दिल में कोई चार ना हो।
तेरी यादों का सहारा हो जब साथ
हर ग़म में तेरा असर बेकार ना हो।

छोटे से ख्वाबों में जिएं हम
तू हो पास तो हर दिन बहार हो।
खुद से मिले, ये राहें न भटकें
तेरे बिना ये सफ़र बेकार ना हो।

हर लम्हा तेरी मोहब्बत में जिएं
तेरे साथ ये कोई फासला ना हो।
मेरी दुआओं का असर हो हर वक्त
ऐ मीत मेरे तू बेकार ना हो।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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2
गज़ल
चलो मीत मेरे ये राहें सुनी है 

चले आओ, मीत मेरे, ये राहें सुनी हैं
तेरे बिना हर सिम्त, ये फिज़ाएं ज़ंजीर हैं।
तेरे संग जो मिल जाए, वो हर लम्हा सच्चा
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये ज़िंदगी तासीर हैं।

तेरे ख्यालों में खोकर, ये दिल मेरा मस्त है
तेरे बिना हर खुशी, जैसे एक बंजर बस्त है।
सपनों में तेरे संग, हर पल जियूं मैं
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये ज़िन्दगी तस्वीर हैं।

तेरे बिना ये चाँदनी, है जैसे अधूरी रात
तेरे संग हर दिन हो, जैसे एक नई सौगात।
तू जब संग हो मेरे, हर ग़म है धुंधला
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये रिश्ते तासीर हैं।

तेरे बिना हर आहट, बस ख़ामोशी का जश्न
तेरे साथ हो जब, हर ग़म हो जैसे प्रश्नदर्पण 
खुदा से बस यही मांगू, तू संग रहे हमेशा
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये दिल का फैशन हैं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गज़ल
यादों का साया 

तेरी यादों का साया हर वक्त है साथ
तेरे बिना हर रंग है बस बेरंग सा जात।
तेरे संग जो बिताए, वो लम्हे हैं अनमोल
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये तेरी-मेरी बात।

तेरी हंसी की गूंज से महके ये बाग
तेरे बिना हर शाम है जैसे कोई आग।
तेरे बिना ये जीवन, जैसे एक ख़ामोशी
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये तेरी-मेरा बात।

तेरी बाहों में छुपा है सुकून मेरा
तेरे बिना ना खुशी ना कोई सहरा।
सपनों में तेरे साथ जियूं मैं हर घड़ी
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये तेरी-मेरी जज़्बात।

तेरे बिना ये दिल है जैसे बंजर ज़मीन
तेरे संग जो मिले, वो हर लम्हा है हसीन।
खुदा से मांगता हूँ मैं तेरा साथ सदा
ऐ मीत मेरे, तू बेकार ना हो, ये तेरी मेरी जमीन।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल
उन्होंने की ऐसी खता और जिंदगी सजा हो गई 

उन्होंने की खता और जिंदगी सजा हो गई
ख़्वाबों की वो किताब दर्द का सिलसिला हो गई।

हमने किया था प्यार दिल से सच्चा हर बार
उनकी नजरों में अब ये खता हो गई।

वो जो कभी हमारे थे दिल के सबसे करीब
उनसे जुदाई अब हमारी वफा हो गई।

जो चाहते थे हमसे कभी साथ उम्रभर
उनकी खामोशी आज सजा हो गई।

कैसे भूलें वो लम्हे जो साथ हमने बिताए
यादें उनकी अब तो सदा हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल
वो बेवफा हो गये

हमने जो की थी उनसे इबादत की थी ख्वाहिश
उनकी बेरुखी ही अब दुआ हो गई।

थी कैसी मासूमियत उनकी आँखों मे
अब तो ये भी एक बेवफाई हो गई।

हर लफ्ज़ में उनके थे जज्बात कभी
अब हर बात में उनकी जुदाई हो गई।

कभी महफिलों में उनका नाम लबों पे था
अब वही यादें मरी तनहाई  हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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6
ग़ज़ल
जिंदगी सजा हो गई 

उन्होंने की खता और ज़िंदगी सजा हो गई
उम्मीदें टूटीं सब, दिल की रौशनी जुदा हो गई।

कभी वो हमसफ़र थे, हर कदम साथ चलने वाले
अब उनकी ख़ामोशी ही मेरी सजा हो गई।

जिसे माना खुदा, उसी ने कर दिया दूर मुझसे
वो मेरे लिए इबादत, अब सदा हो गई।

उनके हर झूठ को हमने सच समझा यारों
वो हर झूठ उनकी बेवफ़ाई की दवा हो गई।

दिल से निकालीं नहीं जातीं उनकी यादें अब
मेरी तन्हाई से उनकी सजा हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल
उनकी बेवफाई दवा हो गई 

उन्होंने की खता और ज़िंदगी सजा हो गई
हमारे हिस्से में बस तन्हाई की दवा हो गई।

वो जो कभी हमराही थे हर सफर में मेरे
अब उनकी याद भी दर्द की हवा हो गई।

जो ख्वाब सजाए थे उनके नाम से कभी
उन ख्वाबों की भी अब ख़ामोश वफ़ा हो गई।

दिल की हर धड़कन ने उन्हें ही पुकारा था
अब उनकी बेरुखी एक ख़ता हो गई।

हमने चाहा था उनको सच्चाई से हमेशा
मगर उनकी बेवफाई ही दास्तां हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
ग़ज़ल
खामोशी सजा हो गई 

उन्होंने की खता और ज़िंदगी सजा हो गई
खुशियों के रास्ते में अब दूरी अदा हो गई।

जिनसे रोशनी थी मेरी हर उम्मीद की
उनकी बेरुखी से मेरी किम्मत जुदा हो गई।

हमने उनके प्यार में सब कुछ भुला दिया
पर उनकी मोहब्बत मेरे लिए रज़ा हो गई।

उनके हर वादे पर एतबार था मुझे
वो वादे अब मेरी तन्हाई का पता हो गई।

जिस दिल में बसाया था उनको हर सांस में
वो दिल अब ख़ामोशी की सदा हो गई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

गजल एल्बम 18 टाईप

1
गज़ल
उनकी याद सताती है

उनकी याद सताती है, दिल को बहुत तड़पाती है
खामोशी में हर लम्हा, याद उनकी मुस्कुराती है।

जिनकी चाहत में खोया, वो लम्हा भी अब भुलाती है
छोटे-छोटे ख्वाबों की, खुशबू अब तक महकाती है।

चाँद की रातों में उनका, नूर जब भी छा जाता है
हर एक साया मेरी जान, जैसे दिल को बहलाती है।

दिल की धड़कन में छुपा है, उनका हर एक फ़साना
बिछड़ने के बाद भी वो, जैसे मुझमें बस जाती है।

अब तो ख्वाबों में आते हैं, ग़म भी मुझे मुस्कुराते हैं
याद उनकी हर घड़ी, मुझको तन्हा कर जाती है।

संग उनके जो बीता था, वो पल अब भी याद आते हैं
जिंदगी की राहों में, वो ही साया बनके आती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गज़ल
       दिल को तड़पाती है 

उनकी याद सताती है, दिल को बहुत तड़पाती है
हर सुबह की पहली किरण, उनकी यादों में खो जाती है।

जिनके साथ बीते लम्हे, वो मुस्कान अब भी हंसती है
हर एक ख्वाब में छुपी है, वो याद जो दिल को भाती है।

चाँदनी रातों में जब भी, चाँद की चमक बिखरती है
उनकी यादों की सर्द हवा, मेरे दिल को चुराती है।

आँखों में बसी उनकी तस्वीर, हर शाम मुझे बुलाती है
दिल की गहराइयों में छुपी, एक ग़ज़ल सा गुनगुनाती है।

बीते लम्हों की खुशबू, हर सांस में महकती जाती है
उनकी यादों की ये बारिश, मेरी तन्हाई को भिगोती है।

ख्वाबों में जो आते हैं, वो रूह को नया नज़ारा देते हैं
उनकी याद सताती है, जैसे चाँद से बातें करती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गज़ल

उनकी याद जो आती है, दिल को बहुत सताती है
चुपके-चुपके ये रातें, मुझसे बातें करती जाती है।

सपनों में जो आकर, मुझे हमेशा चौंका देती है
हर ख्वाब में उनकी खुशबू, मेरे दिल को भिगोती है।

बीती बातें, खोई हुई, हर एक लम्हा सताती है
दिल की धड़कनों में जैसे, उनकी यादें बस जाती है।

आँखों में बसी हुई है, वो प्यारी-सी मुस्कान
उनकी यादों के साए, हर पल दिल को ललचाती है।

हर सुबह की पहली किरण, जैसे उनका चेहरा लाती है
दूर रहकर भी वो मुझसे, हर सांस में जुड़ी रहती है।

उनकी यादों का ये साया, मुझे कभी ना भुला पाता
दिल के कोने में छुपी वो, एक मीठी सी दास्तान बनाती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गज़ल

दिल को भाती है 

उनकी याद सताती है, हर लम्हा दिल को भाती है
चुपके से रातों में जब, उनकी खुशबू महक जाती है।

बीती बातें याद आती हैं, आंसू दिल से निकल जाती है
जिनसे दूर रहकर भी, उनकी यादें मुझसे बातें करती है।

चाँद की चाँदनी में बसी, एक तस्वीर वो बुन जाती है
हर सुबह की किरण में जैसे, एक नई उम्मीद जगाती है।

बिछड़ने की कशमकश में, हर धड़कन अब भी गुनगुनाती है
उनकी यादों के साए में, ये तन्हाई भी मुस्कुराती है।

छोटी-छोटी खुशियों में, वो लम्हा अब तक समाती है
हर खुशी में उनकी कमी, दिल को बेचैन कर जाती है।

जब भी तूफ़ान आता है, उनकी याद मुझको थाम लेती है
हर दर्द की इस रात में, उनकी यादें मुझे राहत दे जाती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5

गज़ल

 याद उनकी आती है, रातों में दिल की सिसकियाँ
चाँद के संग बसी हैं बातें, जैसे कोई पुरानी किस्सियाँ।

जब भी चुप्पी छाती है, वो लम्हा मुझे बुलाती है
खामोशियों में तैरती, उनकी यादों की मिठास छाती है।

पलकों पर बसी हुई हैं, उनकी हंसी की धुनें सजी
हर सुबह की रोशनी में, जैसे कोई सपना पलती है।

दूर रहकर भी वो करीब हैं, दिल की गहराइयों में
यादों की एक किताब में, हर एक पन्ना वो खोलती है।

तेरे नाम से सजती है, हर गली हर एक साज है
मेरे दिल की हर धड़कन में, तेरी यादों का एक राज है।

जब भी कोई ग़ज़ल गूंजे, मैं तेरा नाम लूँ फिजाओं में
तेरे बिना ये जीवन, जैसे एक अधूरी साज है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गज़ल

तेरी याद रूलाती है, जब रातों की चाँदनी छाती है
हर साज में, हर सुर में, जैसे वो खुदा की बाती है।

खामोश लम्हों में छुपी, उनकी हंसी की गूंज सुनाई
तेरे बिना ये दिल जिया, जैसे खामोशी की एक सच्चाई है।

पलकों पर बसी तेरी छवि, हर धड़कन में तेरा नाम है
जब भी तूफ़ान आता है, तेरी याद मुझे संभालता है।

गुलाबों की खुशबू में जैसे, तेरी याद महकती है
बिछड़कर भी तू पास है, हर दर्द की राहत देती है।

तेरे संग बीते लम्हे, हर एक ख्वाब की मिठास हैं
दिल की गहराइयों में छुपी, वो मीठी यादों की आस है।

जब भी देखूँ ये तारे, मुझे तेरी याद सताती है
तू दूर रहकर भी मेरे पास, जैसे हर साँस में समाती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गज़ल
तेरी यादों का साया

तेरी यादों का साया, हर पल दिल में रहता है
जब से तुम दूर गए हो, तन्हाई का मंजर रहता है 

चाँदनी रातों में ख्वाब, तेरे चेहरे को तलाशते हैं
हर सांस में तेरी खुशबू, जैसे फिजाओं को छू जाते हैं 

सफर में तेरा साथ था, अब रास्ता सूना लगता है
हर मोड़ पर तेरा नाम, मेरी ज़िंदगी का सहारा बनता है।

बीते लम्हों की बातें, जैसे मीठा कोई गीत है
तेरे बिना हर खुशी में, एक अधूरापन सा रहता है।

आँखों में बसी तस्वीर, दिल की धड़कन में तेरा जिक्र है
जब भी देखूँ ये तारे, तेरी यादों में जिंदा रहता हैं।

तू जो नहीं है पास मेरे, तो हर लम्हा है सूनापन
तेरी यादों का ये सिलसिला, जैसे तन्हाई का मंजर रहता है 

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गज़ल
तेरी यादें मेरे संग

तेरी यादें मेरे संग, हर पल एक कहानी है
जब भी देखूँ आकाश, तेरा चेहरा मुस्कुराता है।

खामोश रातों में वो, लम्हा याद आता है
तेरे बिना ये दिल मेरा, जैसे बंजर सा हो जाता है।

सपनों की दुनिया में, तेरा ही जादू बिखरा है
हर खुशी में अब मेरा, बस तेरा ही नाम लिखा है।

जब भी चाँद निकले, तेरे ख्वाबों की रोशनी है
तेरी यादों की लहर में, दिल मेरा तैरता है।

गुलाबों की खुशबू में, तेरा अहसास समाया है
हर एक धड़कन में बस, तेरा ही नाम पाया है।

तू जो दूर हो जाता है, तन्हाई मुझको सताती है
तेरी यादें जैसे साया, हर दर्द को मिटाती है।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर